News Archives - Rakt Data https://raktdata.org/category/news/ Social media site for Raktdata Community Mon, 19 Dec 2022 13:29:58 +0000 en-GB hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.4 https://raktdata.org/wp-content/uploads/2022/11/cropped-Screenshot-2022-11-14-at-11.51.54-PM-32x32.png News Archives - Rakt Data https://raktdata.org/category/news/ 32 32 शिवाजी महाराज की जाति क्षत्रीय ही है https://raktdata.org/%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7/ https://raktdata.org/%e0%a4%b6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7/#respond Mon, 19 Dec 2022 13:29:55 +0000 https://raktdata.org/?p=280 https://www.bbc.com/hindi/india-37645762 BBC NEWS ARTICL 1857 की लड़ाई और सावरकर के इतिहास पर लिखनेवाले प्रोफेसर शेषराव मोरे के मुताबिक-“पहले वर्ण को व्यवसाय के तौर पर बांटा गया, पर बाद में धर्मशास्त्र में दो ही वर्ण माने गए. एक थे ब्राहमण और अन्य तीनों को एक श्रेणी में शूद्र माना गया.इसके पीछे कुछ पुराणों में बताया गया […]

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https://www.bbc.com/hindi/india-37645762

BBC NEWS ARTICL

1857 की लड़ाई और सावरकर के इतिहास पर लिखनेवाले प्रोफेसर शेषराव मोरे के मुताबिक-“पहले वर्ण को व्यवसाय के तौर पर बांटा गया, पर बाद में धर्मशास्त्र में दो ही वर्ण माने गए. एक थे ब्राहमण और अन्य तीनों को एक श्रेणी में शूद्र माना गया.इसके पीछे कुछ पुराणों में बताया गया एक मिथक था. इसके मुताबिक विष्णु के अवतार माने जाने वाले परशुराम और क्षत्रियों के बीच लड़ाई हो गई और उसमें सब क्षत्रिय मारे गए.पीछे सिर्फ विधवाएं और बच्चे रह गए, जिन्हें प्रजा यानी शूद्र माना गया.इस ग़लत मान्यता के चलते और जाति प्रथा को क़ायम रखने के लिए ब्राहमणों ने शिवाजी का राज्यभिषेक करने से मना कर दिया.शिवाजी महाराज की जाति क्षत्रीय ही है क्योंकि उनका घराना राजा का घराना था और उनकी पीढ़ियां लड़ाई के कौशल में माहिर थीं.वो राजस्थान के राजपूत घराने से महाराष्ट्र आए थे और क्षत्रिय और शूद्र की ये बहस बिल्कुल बेमानी है.वर्ण व्यवस्था से पहले शूद्र भी राजा थे और क्षत्रिय वेद लिखते थे. ये सारे अंतर तो ब्राहमणों के ही बनाए हुए हैं और इतिहास भी उन्होंने ही लिखा है.”

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संघटन की शक्ति https://raktdata.org/%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%98%e0%a4%9f%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b6%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%bf/ https://raktdata.org/%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%98%e0%a4%9f%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b6%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%bf/#respond Mon, 19 Dec 2022 13:18:17 +0000 https://raktdata.org/?p=276 *”छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज संगठन” की आवश्यकता क्यों है?*आधुनिक भौतिकवाद के अतिरेक में एवं वर्तमान राजनीतिक लोकतांत्रिक परिवेश में अनेक समाज बंधु प्रायः कहते रहते हैं कि जब वर्ण व्यवस्था प्रासंगिक नही रही, जाति व्यवस्था भी धीरे धीरे समाप्त होती दिख रही है तब *”छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज संगठन” की आवश्यकता क्यों है?*। ऐसे बंधुओं […]

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*”छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज संगठन” की आवश्यकता क्यों है?*आधुनिक भौतिकवाद के अतिरेक में एवं वर्तमान राजनीतिक लोकतांत्रिक परिवेश में अनेक समाज बंधु प्रायः कहते रहते हैं कि जब वर्ण व्यवस्था प्रासंगिक नही रही, जाति व्यवस्था भी धीरे धीरे समाप्त होती दिख रही है तब *”छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज संगठन” की आवश्यकता क्यों है?*। ऐसे बंधुओं द्वारा यह सिद्ध करने की कोशिश भी होती है कि समाज में जितनी बुराइयां हैं, उन सबके लिए जाति-व्यवस्था ही दोषी है। परन्तु आक्षेपों के बावजूद भी जाति व्यवस्था अभी तक चल रही है और किसी न किसी रूप में आगे भी चलती रहेगी, यही इस बात का प्रमाण है कि यह व्यवस्था इतनी बुरी नहीं है, जितनी समझी जाती है। मेरे विचार से तो स्वार्थी तत्वों द्वारा दी गई सामाजिक बुराइयों / कुरीतियों ने ही जाति व्यवस्था को दूषित कर रखा है। वृहद स्तर पर देखें तो व्यवहारिक जातीय संगठन का अभाव और कमजोर होते जाना मनुष्य को व्यक्तिगत और सार्वजनिक रूप से कमजोर करता है। वास्तव में जातीय संगठन की कमजोरी तो सामाजिक बुराइयों / कुरीतियों का अंतर्जातीयकरण करती दिख रही है। ऐसी परिस्थिति में *छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज* जैसी अल्पसंख्यक जातियां सामाजिक कुरीतियों का दुष्परिणाम तो भोगेंगी ही साथ साथ संगठन के अभाव में शासन प्रशासन द्वारा मिलने वाली सुविधाओं से अनभिज्ञ भी रहेंगी और सुविधाओं का लाभ भी नही उठा पायेंगी। सारी सुविधायें अन्य जातियों के वे संपन्न लोग ही ले पायेंगे जिन्होंने पिछड़े न होते हुये भी कागजी आधार पर खुद को पिछड़ा प्रमाणित करवा लिया है। यहां तक कि दिन रात अपनी जाति / जातीयता को कोसने वाले महानुभाव भी जाति प्रमाणपत्र हाथ में लेकर शासन द्वारा दी जाने वाली जाति आधारित सुविधाओं को लेने में आगे रहते हैं। स्वार्थों, भौतिकता से भरी हुई तथाकथित आधुनिकता के दायरे से थोड़ा हटकर सोचा जाये कि *”छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज संगठन”* क्यों आवश्यक है और इसका क्या लाभ है। एक संगठित छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज निम्नानुसार उपयोगी हो सकता है।*(1) सामाजिक अपनत्व:-* सभी जानते और मानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस नाते उसे आपसी व्यवहार और रिश्तों के माध्यम से अपनत्व की आवश्यकता होती है जहां वह अपनों के बीच में अपने दुख सुख बांटता है। इस कड़ी में वह अपनी परेशानियों के समाधान के लिये सलाह और मार्गदर्शन अपने जातीय संगठन से प्राप्त करने में सहजता अनुभव करता है। अब तो छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज में अनेक उदाहरण सामने आने लगे हैं जब संगठन विपत्ति के समय भुक्तभोगी को सहयोग के लिये अपील करता है और प्रायः सहयोग मिलता भी है।इस तरह से एक संगठित छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज एक सशक्त ट्रेड यूनियन के रूप में कार्य कर सकता है। यह समाज बंधुओं के तीज त्योहारों में उल्लास भरता है, खुशियों में सम्मिलित होता है, आपदा के समय मनोबल बढ़ाता है। सीधे सीधे कहा जाये तो सामाजिक संगठन की उपयोगिता समाज बंधुओं के जन्म से लेकर अंतिम संस्कार तक है। *(2) सामाजिक परम्परायें :-* जाति के अंदर परम्परायें सभी के लिये समान होती हैं कुछ परम्परायें सही होती हैं तो कुछ परम्पराओं / रूढ़ियों में समयानुसार परिवर्तन की आवश्यकता पड़ती है। अब चूंकि जाति बंधु अपनी परम्पराओं को जानते समझते हैं तो सही परम्पराओं का पालन और रूढ़ियों का सुधार सामूहिक रूप से कर सकते हैं। हम अपनी परम्पराओं को न तो दूसरी जातियों पर थोप सकते हैं और न ही उनकी परम्पराओं में सुधार कर सकते हैं। यहां तो संगठित छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज की अनिवार्यता ही है क्योंकि बिना परम्पराओं के कोई भी समुदाय होता ही नही है। *(3) जीवन साथी का चुनाव:-* कहने को तो अब अंतरजातीय विवाह बहुत हो रहे हैं इसका अर्थ तो यही निकलता है कि अन्य जातियों से जीवन साथी चुना जा सकता है परंतु अन्य परिवेश / जातियों से चुना गया जीवन साथी परिवार रिश्तों में सहजता से कभी नही स्वीकारा जाता। पूरे जीवन रिश्तों में उपेक्षा का भय बना रहता है। इससे बड़ी बात यह है कि जब युवक युवतियों के अभिभावक रिश्ते देखते हैं तो उनका दायरा जाति के अंदर ही हो सकता है वे इस दायरे से निकलकर अन्य जातियों से रिश्ते मांगने जा नही पाते। जहां युवक युवती स्वयं अन्य जातियों से जीवन साथी चुनते हैं तो विवाद की स्थिति में कोई समझाने वाला ही नही होता। अर्थात यदि जीवन साथी सजातीय है तो वैवाहिक रिश्तों को बनाने से लेकर बचाने के लिये संगठित छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज बड़ी भूमिका निभा सकता है। विजातीय संबंधों में तो किसी का कोई जोर रहता ही नही है।*(4) आपसी सहयोग की भावना:–* हम अपनी जाति-व्यवस्था के दायरे में सदस्यों में सद्भावना एवं सहयोग की भावना का विकास कर सकते हैं। मिलकर एक आर्थिक व्यवस्था का निर्माण करके जरूरतमंदों की सहायता कर सकते हैं, जिससे राज्य-सहायता की आवश्यकता कम पड़ेगी वैसे भी संबंधित विभागों की जटिल प्रक्रिया के कारण बहुतेरे लोग शासन से सहायता ले नही पाते। जाति या समाज बंधुओं के बीच जानकारियों का आदान प्रदान सहज भाव से हो सकता है और शासन द्वारा सहयोग दिलाने में जानकार लोगों का मार्गदर्शन बहुत उपयोगी होता है।*(5) जातिगत व्यवसायों का संरक्षण:–* प्रत्येक जाति का एक विशिष्ट व्यवसाय होता है, जिससे न केवल नयी पीढ़ी का भविष्य निश्चित हो जाता है, अपितु उसे उस व्यवसाय को सीखने का भी उचित अवसर प्राप्त होता है। चूंकि जाति के साथ जातिगत व्यवसाय का तादात्म्य होता है, व्यवसाय / कारीगरी में गर्व भी अनुभव होता है। प्राचीन भारत में कारीगरों की कई पीढ़ियां होती थीं, जो अपने कौशल में सिद्धहस्त रहती थी और जातिगत व्यवसाय को अपने हाथों से निकलने नही देती थीं। *मुझे लगता है यहां हमने एक बड़ी चीज खो दी है। छीपा रंगारी का कलात्मक व्यवसाय हम अपने बीच से समाप्त कर चुके हैं। क्या यह उचित नही होता कि हम संगठित रहकर अपनी छीपा रंगारी कला को नई तकनीकों के साथ अपने बीच जीवित रखते। रोजगार का एक साधन हमारे बीच से निकल कर बड़े उद्योगपति वर्ग के पास चला गया।* और यह केवल हमारे साथ नही हुआ बल्कि कारीगरी, क्राफ्ट, कला के आधार पर बनी अनेक जातियां अपने जमे जमाये व्यवसाय छोड़कर रोजगार की आस में भटकने को विवश हैं। *(6) सांस्कारिक शुद्धता:-* अन्य जातियों के समान ही छीपा रंगारी क्षत्रिय संगठन भी अंतरजातीय विवाहों का समर्थन नही करता। जाति के अंदर विवाह होने से परिवारों में दो जातियों के बीच होने वाले संस्कारों और परम्पराओं के बीच टकराव की आशंका नही रहती। यद्यपि इसके बाद भी अंतरजातीय विवाह होते ही हैं कभी युवक-युवतियों के आपसी लगाव के कारण होते हैं तो कभी माता-पिता, युवक-युवतियों की किसी विवशता के कारण होते हैं। मेरे विचार से अंतरजातीय विवाहों का विरोध करने की बजाय हमें जातीय विवाहों के लाभों से नयी पीढ़ी को अवगत कराना चाहिये। सामाजिक कुरीतियों को समाप्त कर समाज को युवाओं के लिये अधिक आकर्षक बनाने की आवश्यकता है ताकि कोई भी निराश होकर छीपा रंगारी जाति से विमुख न हो। गरीब अमीर सभी की उपयुक्त रिश्तों की आकांक्षाये समाज के अंदर उपलब्ध आर्थिक साधनों में दहेज/मांग मुक्त वैवाहिक कार्यक्रमों में पूरी हों यह सुनिश्चित करना होगा। यद्यपि किसी गरीब का अंतरजातीय विवाह करना उसे जाति से दूर कर देता है संपन्न वर्ग को समाज/जाति में देर सबेर स्वीकार कर ही लिया जाता है। इसलिये अन्तर्जातीय विवाह करने वालों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय अपने जातीय संगठन को ही सामाजिक सुधारों के साथ व्यवस्थित किया जाये। इससे हम अपनी जातीय शुद्धता के साथ प्रगतिशील छीपा रंगारी समाज की आवश्यकता को साकार कर सकेंगे।*(7) पारिवारिक / कौटुम्बिक न्याय में सहजता:-* सभी जानते हैं कि विवाद, कलह, अपराध, पारिवारिक संपत्ति के बटवारे की स्थिति में सरकारी न्याय व्यवस्था से न्याय पाना कितना खर्चीला होता है, कितना लंबा समय लगता है, इस समय व्यक्ति कितना तनावग्रस्त रहता है कई बार तो न्याय मिलने के बाद भी उस न्याय का औचित्य नही रह जाता। गरीब आदमी तो कोर्ट कचहरी जाने की हैसियत भी नही रखता। आजकल तो छोटे छोटे पारिवारिक विवाद भी अदालतों में पहुंच जाते हैं और अंततः संबंधित परिवारों की टूट के कारण बनते हैं। सुनवाई सुलभ न होने, सही राह बताने वाले मंच के न होने से, परिवारों में सामंजस्य न बन पाने के कारण कई दुर्भाग्यपूर्ण हादसे हो जाते हैं। निराश होकर लोग अपनी जान से भी खेल जाते हैं बाद में पता चलता है कि इतना निराश होने का कारण कोई बड़ा नही था। ऐसी स्थिति से उबारने के लिये जातीय संगठनों / पंचायतों की बड़ी भूमिका रही है, जातीय संगठनों की न्याय व्यवस्था बड़ी सहजता से संबंधितों को संतुष्ट कर सकती है। क्योंकि वहां सभी पक्षों की सुनने वाले अपने ही होते हैं, कम समय में संदेह/समस्याओं का हल मिलता है। समाधान देकर सामाजिक निर्णयों का पालन देखने वाले हितैषी समाज बंधु रिश्तेदार होते हैं। छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज संगठन ऐसी कल्याणकारी और सहज सुलभ न्याय व्यवस्था को पुनः जाग्रत कर सकता है और परिवार, कुटुम्ब, जाति के बीच में विवाद की स्थिति में सबको ससम्मान संतुष्ट करते हुये कम समय में, बिना अदालत वकीलों के चक्कर लगाये न्याय दे सकता है। अपनों के बीच में अपनी समस्यायें रखने का अवसर परिवारों को टूटने से एवं अनपेक्षित घटनाओं से बचा सकता है।*(8) अनाथ / असहाय बच्चों का पालन पोषण:-* दुर्भाग्य से यदि किसी बच्चे के माता पिता न रहें तो ऐसे बच्चों के पालन पोषण के लिये बच्चों के अनुकूल अपनत्व से भरे वातावरण में पालन पोषण की व्यवस्था जाति के अंदर अधिक अच्छी हो सकती है ऐसे बच्चे पारिवारिक रिश्तों जैसा प्यार पा सकते हैं यदि संगठित समाज बंधु अनाथ बच्चों के पालक परिवार को यथोचित मार्गदर्शन और सहयोग दे। यहां भी संगठित छीपा रंगारी समाज अपने जाति बंधुओं की नई पौध को मुरझाने से बचा सकता है।उपरोक्त के अतिरिक्त एक संगठित छीपा रंगारी क्षत्रिय समाज जातिबंधुओं के लिये और भी लाभदायक सिद्ध होगा, इसलिये हमें जातीय आधार पर संगठित होना ही चाहिये। इससे हमारी राष्ट्रीय और वैश्विक पहचान बनेगी। एक शिक्षित, सुसंस्कृत, सभ्य जाति के रूप में जातिबंधु संगठित होकर अपने जाति बंधुओं की उन्नति के साथ अपने धर्म और राष्ट्र के लिये भी समर्पित रहेंगे। निवेदकअशोक कुमार राठौरजबलपुर (मध्यप्रदेश)

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समाधान https://raktdata.org/%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8/ https://raktdata.org/%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a7%e0%a4%be%e0%a4%a8/#comments Sun, 18 Dec 2022 10:40:37 +0000 https://raktdata.org/?p=272 सभी माताओं बहनों ओर मान्यवारो से निवेदन है की मुझे ओर समाज के अन्य युवाओं को समाज के इतिहास की जानकारी दी जाए । हम युवा स्पष्टीकरण चाहते है की हम कोन है , हमारा मूल क्या है ….. बोहोत से युवा गैर समझ में जी रहे है । कृपया आप सभी मान्यवर युवा प्रांतीय […]

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सभी माताओं बहनों ओर मान्यवारो से निवेदन है की मुझे ओर समाज के अन्य युवाओं को समाज के इतिहास की जानकारी दी जाए । हम युवा स्पष्टीकरण चाहते है की हम कोन है , हमारा मूल क्या है ….. बोहोत से युवा गैर समझ में जी रहे है ।

कृपया आप सभी मान्यवर युवा प्रांतीय ग्रुप ज्वाइन करे ओर मै कुछ प्रश्न लिख रहा हु उसका उत्तर देते हुए समाज के युवाओं को समाज के बारे में जागृत करे।

१. हम कोन है ?

२. हम हमारे समाज के नाम में क्षत्रिय क्यों लिखते है ?

३. हमारी जात रंगारी / छीपा है या क्षत्रिय है ?

४. या बस हम क्षत्रिय थे ओर काम की वजह से बिछड़ गए?

५. क्षत्रिय जात भी है कुल भी है , ऐसा क्यों ?

६. हमारे समाज / कुनबे का राजपूतों में क्या स्थान है?

७. हमारे समाज का जन्म कैसे ओर कब हुआ ?

८. क्या 31 + उम्र वालो ने , विधवा ने , विधुर ने , डिवोसी ने ओर दिव्यांग ने सम समाज जो क्षत्रिय कुल में आता है ऐसे में शादी करना उचित है या अनुचित है ?

९. शिवाजी महाराज स्वयं को राजपूत घोषित कर के राज्याभिषेक किए उनका अभी का परिवार भी खुद को सिसोदिया वंश का मानते है ओर यह कई किताबो में भी लिखा हुआ है। ( शिवाजी महाराज राजपूत थे उन्होंने महाराष्ट्र में आकर खुद का मराठा साम्राज्य स्थापित किए ।) इसपर आप सभी मान्यवारो से स्पष्टीकरण चाहिए है।

१०. हम महाराणा प्रताप जी को हमारे पूजनीय मानते है तो ऐसे में हमे उनके वंशज श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की भी फोटो हर प्रोग्राम में साथ में रखना चाहिए।

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नागपुर क्षत्रिय छिपा समाज – महिला समिति https://raktdata.org/%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%9c-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%bf/ https://raktdata.org/%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%9c-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%bf/#comments Mon, 05 Dec 2022 05:49:31 +0000 https://raktdata.org/?p=249 सभी सामाजिक बन्धुओं को यथा-योग्य सप्रेम नमस्कार 🙏 दि. 4 दिसंबर 2022 को श्री संजय जी सुधाकर जी चुरहे शेष नगर, नागपूर मे मासिक सभा का आयोजन किया गया है इसमें नागपुर समिति के सभी पदाधिकारी, सलाहगार, सदस्य और सभी नागपुर निवासी सामाजिक बन्धुओं ने उपस्थित थेl नागपुर निवासी महिला समिति का गठन महाराष्ट्र प्रांतीय […]

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सभी सामाजिक बन्धुओं को यथा-योग्य सप्रेम नमस्कार 🙏

दि. 4 दिसंबर 2022 को श्री संजय जी सुधाकर जी चुरहे शेष नगर, नागपूर मे मासिक सभा का आयोजन किया गया है इसमें नागपुर समिति के सभी पदाधिकारी, सलाहगार, सदस्य और सभी नागपुर निवासी सामाजिक बन्धुओं ने उपस्थित थेl

नागपुर निवासी महिला समिति का गठन महाराष्ट्र प्रांतीय महिला उपाध्यक्ष प्रो. सौ. ऊषाताई राजेश जी कैलाबाग इनकी अध्यक्षता में दि. 4 दिसंबर 2022 किया गया है जो निम्नलिखित है

अध्यक्ष – सौ. नलिनी मनीष शेटे
उपाध्यक्ष – सौ. प्रीति दीपक चूरहे
सचिव – सौ. शारदा महेश चौहान
उप-सचिव – सौ. स्वाती आकाश चूरे
सह सचिव – सौ अनिता घनश्याम जी खेरडे
कोषाध्यक्ष – सौ. रश्मी प्रशांत जी बडघरे
उप कोषाध्यक्ष – सौ. निशा प्रमोद जी चूरहे
सह कोषाध्यक्ष – सौ. अपूर्वा गणेश जी सेठीया

सल्लाकार –
श्रीमती आशा ताई नारायण जी चुरहे
सौ. कल्पना बाई हरी किशन मुजारिया

सदस्या :-
सौ. सपना विरेन्द्र रक्षीये
सौ. सुनीता चुरहे
सौ. किरण शेटीये
सौ. नीता महेश चंद्रजी चुरहे
सौ. साधना शेटीये
सौ. सविता बडघरे
सौ. सारिका बडघरे

धन्यवाद

क्षत्रिय छिपा समाज, नागपुर

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क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है https://raktdata.org/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8d/ https://raktdata.org/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8d/#respond Sun, 20 Nov 2022 07:36:59 +0000 https://raktdata.org/?p=171 प्राचीन भारत का सामाजिक तानाबाना विभिन्न जातियों से बना होता था और हर जाति की अपनी भूमिका होती थी जो समाज के सभी लोगों के प्रति जिम्मेदार होती थी और समाज की शांति, सुरक्षा, आर्थिक कार्य, पथ प्रदर्शन और विकास में अपनी भूमिका निभाती थी। ये सभी जातियां मुख्य रूप से चार वर्णो के अंतर्गत […]

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प्राचीन भारत का सामाजिक तानाबाना विभिन्न जातियों से बना होता था और हर जाति की अपनी भूमिका होती थी जो समाज के सभी लोगों के प्रति जिम्मेदार होती थी और समाज की शांति, सुरक्षा, आर्थिक कार्य, पथ प्रदर्शन और विकास में अपनी भूमिका निभाती थी। ये सभी जातियां मुख्य रूप से चार वर्णो के अंतर्गत आती थी जिनमे समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी क्षत्रियों, यज्ञ,देवताओं की पूजा और समाज के पथ प्रदर्शन की जिम्मेदारी ब्राह्मणों की, व्यापार की जिम्मेदारी वैश्य और सेवा कार्य की जिम्मेदारी शूद्र वर्ग की थी। समाज में इन चारों वर्णों की महत्वपूर्ण और अनिवार्य भूमिका थी। इन वर्णों में क्षत्रियों की भूमिका ब्राह्मणों के बाद काफी महत्वपूर्ण थी। ये जहाँ समाज और पशुओं की सुरक्षा करते थे वहीँ समाज को अच्छा शासन प्रदान करते थे ताकि समाज के लोग शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। कालांतर में यह क्षत्रिय वर्ण क्षत्रिय जाति में परिणत हो गया और बाद में यह राजपूत के नाम से जाना जाने लगा। हालाँकि शुरू से ही इसमें अनेक जातियों का समावेश होता गया और कई जातियां इस वर्ग से बाहर भी होती गयी।

क्षत्रिय कौन हैं

प्राचीन भारतीय समाज चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में बंटा हुआ था। इन वर्णों के कार्य और जिम्मेदारियां निश्चित थीं। इनमे से ब्राह्मण यज्ञ और पुरोहित का कार्य करते थे वहीँ क्षत्रिय समाज की सुरक्षा के लिए जाने जाते थें। वैश्यों का व्यापार और शूद्रों के लिए सेवा कार्य निश्चित थे। इन वर्णों में क्षत्रिय अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते थे और इस वर्ण में वैसे ही लोग होते थे जो सैन्य कुशलता में प्रवीण और शासक प्रवृति के होते थे। अतः युद्ध और सुरक्षा की जिम्मेदारी का निर्वाहन करने वाला वर्ण क्षत्रिय कहलाता था। इतिहास और साहित्य में कई क्षत्रिय राजाओं का वर्णन हुआ है जिनमे अयोध्या के राजा श्री राम, कृष्ण, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप आदि प्रमुख हैं। क्षत्रियों के वंशज वर्तमान में राजपूत के रूप में जाने जाते हैं।

क्षत्रिय की उत्पत्ति

प्राचीन सिद्धांतों और मान्यताओं के अनुसार क्षत्रिय की उत्पत्ति ब्रह्मा की भुजाओं से हुई मानी जाती है। एक और कथा के अनुसार क्षत्रियों की उत्पत्ति अग्नि से हुई थी। कुछ लोग अग्निकुला के इस सिद्धांत विदेशियों को भारतीय समाज में शामिल होने के लिए किये गए शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। अग्निकुला सिद्धांत का वर्णन चन्दवरदाई रचित पृथ्वीराज रासो में आता है जिसके अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू पर्वत पर चार क्षत्रिय जातियों को उत्पन्न किया था जिसमे प्रतिहार, परमार, चौहान और चालुक्य या सोलंकी थे।

ऋग्वैदिक शासन प्रणाली में शासक के लिए राजन और राजन्य शब्दों का प्रयोग किया गया है। उस समय राजन वंशानुगत नहीं माना जाता था। वैदिक काल के अंतिम अवस्था में राजन्य की जगह क्षत्रिय शब्द ने ले ली जो किसी विशेष क्षेत्र पर शक्ति या प्रभाव या नियंत्रण को इंगित करता था। संभवतः विशेष क्षेत्र पर प्रभुत्व रखने वाले क्षत्रिय कहलाये। महाभारत के आदि पर्व के अंशअवतारन पर्व के अध्याय 64 के अनुसार क्षत्रिय वंश की उत्पत्ति ब्राह्मणो द्वारा हुई है।

प्राचीन साहित्यों से पता चलता है कि क्षत्रिय वर्ण आनुवंशिक नहीं था और यह किसी जाति विशेष से सम्बंधित नहीं था। जातकों, रामायण और महाभारत ग्रंथों में क्षत्रिय शब्द से सामंत वर्ग और युद्धरत अनेक जातियां जैसे अहीर, गड़डिया, गुर्जर, मद्र, शक आदि का भी वर्णन हुआ है। वास्तव में क्षत्रिय समस्त राजवर्ग और सैन्य वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था। क्षत्रिय वर्ग का मुख्य कर्तव्य युद्ध काल में समाज की रक्षा के लिए युद्ध करना तथा शांति काल में सुशासन प्रदान करना होता था।

राजपूत कौन हैं

राजपूत अपने स्वाभिमान, वीरता, त्याग और बलिदान के लिए जाने जाते थे। अदम्य साहस और देशभक्ति उनमे कूट कूट कर भरी होती थी। राजपूत राजपुत्र का ही अपभ्रंश माना जाता है और इनमे राजाओं के पुत्र, सगे सम्बन्धी और अन्य राज्य परिवार के लोग होते थे। चूँकि राजपूत शासक वर्ग से सम्बन्ध रखते थे अतः इनमे मुख्य रूप से क्षत्रिय जाति के लोग होते थे। हालाँकि शासक वर्ग की कई जातियां शासन और शक्ति की बदौलत राजपूत जाति में शामिल होती गयी। हर्षवर्धन के उपरांत 12 वीं शताब्दी तक का समय राजपूत काल के रूप में जाना जाता है। इस समय तक उत्तर भारत में राजपूतों के 36 कुल प्रसिद्ध हो चुके थे। इनमे चौहान, प्रतिहार, परमार, चालुक्य, सोलंकी, राठौर, गहलौत, सिसोदिया, कछवाहा, तोमर आदि प्रमुख थे।

राजपूतों का इतिहास एवं उत्पत्ति

राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में इतिहास विशेषज्ञों का मत एक नहीं रहा है। कई इतिहासकारों का मानना है कि प्राचीन क्षत्रिय वर्ण के वंशज राजपूत जाति के रूप में परिणत हो गयी। कुछ विद्वान खासकर औपनिवेशिक काल में यह मानते थे कि क्षत्रिय विदेशी आक्रमणकारियों जैसे सीथियन और हूणों के वंशज हैं जो भारतीय समाज में आकर रच बस गए और इसी समाज का हिस्सा बन गए। कर्नल जेम्स टाड और विलियम क्रूक क्षत्रियों के सीथियन मूल को मानते थे। वी ए स्मिथ क्षत्रियों का सम्बन्ध शक और कुषाण जैसी जातियों से भी जोड़ते हैं। ईश्वरी प्रसाद और डी आर भंडारकर ने भी इन सिद्धांतों का समर्थन किया है और राजपूतों को इनका वंशज मानते हैं। वहीँ कुछ अन्य विद्वान राजपूतों को वैसे ब्राह्मण मानते थे जो शासन करते थे। आधुनिक शोधों से पता चलता है कि राजपूत विभिन्न जातीय और भौगोलिक क्षेत्रों से आये और भारतभूमि में रच बस गए। राजपुत्र पहली बार 11 वीं शताब्दी के संस्कृत शिलालेखों में शाही पदनामों के लिए प्रयुक्त दिखाई देता है। यह राजा के पुत्रों, रिश्तेदारों आदि के लिए प्रयुक्त होता था। मध्ययुगीन साहित्य के अनुसार विभिन्न जातियों के लोग शासक वर्ग में होने की वजह से इस श्रेणी में आ गए। धीरे धीरे राजपूत एक सामाजिक वर्ग के रूप में सामने आया जो कालांतर में वंशानुगत हो गया।

वर्तमान में राजपूत इन्ही क्षत्रियों के वंशज माने जाते हैं किन्तु क्षत्रिय से राजपूत तक आते आते एक लम्बा समय लग गया और यह अपने वर्तमान स्वरुप को 16 वीं शताब्दी में प्राप्त कर सका। हालाँकि उत्तर भारत में यह छठी शताब्दी से विभिन्न वंशावलियों का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त होता है। शुरू में प्रायः 11 वीं शताब्दी में शाही अधिकारीयों के लिए गैर वंशानुगत पदनाम के रूप में राजपुत्र शब्द का प्रयोग होने के उदाहरण मिलते हैं जो धीरे धीरे एक सामाजिक वर्ग के रूप में विकसित हुआ। इस वर्ग में विभिन्न प्रकार के जातीय और भौगोलिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे। यह बाद में जाकर 16 वीं और 17 वीं शताब्दी तक लगभग वंशानुगत हो चुकी थी।

राजपूत शब्द रजपूत जिसका अर्थ धरतीपुत्र के रूप में भी कहीं कहीं प्रयुक्त हुआ है किन्तु यह वास्तविक रूप से मुग़ल काल में ही प्रयोग में आने लगा। यह राजपुत्र के अपभ्रंश के रूप में राजपूत के रूप में राजा और उसकी संतानों के लिए प्रयुक्त होने लगा। कौटिल्य, कालिदास, बाणभट्ट आदि की रचनाओं में भी क्षत्रियों के लिए राजपुत्र का प्रयोग हुआ है। अरबी लेखक अलबेरुनी ने भी अपनी किताबों में राजपूत या राजपुत्र का जिक्र न करके क्षत्रिय शब्द का प्रयोग किया है।

राजपूतों को उत्तर भारत में भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे उत्तर प्रदेश में ठाकुर, बिहार में बाबूसाहेब या बबुआन, गुजरात में बापू, पर्वतीय क्षेत्रों में रावत या राणा दक्षिण में क्षत्रिय , मराठा आदि।

क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है

क्षत्रिय भारतीय समाज की वर्ण व्यवस्था का एक अंग है जबकि राजपूत एक जाति है।क्षत्रिय वैदिक संस्कृति से निकला शब्द है वहीँ राजपूत शब्द छठी शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी में विकसित हुआ।सभी क्षत्रिय राजपूत नहीं हैं पर सभी राजपूत क्षत्रिय हैं।

उपसंहार

इस प्रकार हम देखते हैं क्षत्रिय प्राचीन भारतीय समाज की वर्ण व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। इनका मुख्य कर्तव्य समाज और पशुओं की सुरक्षा करना होता था। संभवतः यह व्यवस्था जातिगत नहीं थी। वर्तमान राजपूतों का उदय इन्हीं क्षत्रिय वर्ण से हुआ माना जाता है जो बाद में वंशानुगत हो गयी और एक जाति के रूप में परिणत हो गयी।

Ref :

https://hi.krishnakosh.org/http://history-rajput.blogspot.com/2017/02/blog-post.html

https://hi.wikipedia.org/wiki/https://www.mahashakti.org.in/2015/11/Kashatriyon-Ki-Utpatti-Evam-Etihasik-Mahatva.html

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प्रांतीय युवा समिति महाराष्ट्र की पहली सभा संपन्न हुई । https://raktdata.org/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%af-%e0%a4%af%e0%a5%81%e0%a4%b5%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0/ https://raktdata.org/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%af-%e0%a4%af%e0%a5%81%e0%a4%b5%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0/#respond Tue, 15 Nov 2022 06:25:20 +0000 https://raktdata.org/?p=79  जय सिया राम  आज दिन 13 नवंबर 2022 को प्रांतीय युवा समिति महाराष्ट्र द्वारा बनाए गए ग्रुप “अखिल भारतीय क्षत्रीय कुल” ग्रुप के माध्यम से प्रांतीय युवा समिति महाराष्ट्र की पहली सभा संपन्न हुई । इस सभा की शुरवात प्रांतीय युवा अध्यक्ष श्री महक ओमप्रकाश जी सेठिया ने सब का स्वागत करते हुए की , […]

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 जय सिया राम 

आज दिन 13 नवंबर 2022 को प्रांतीय युवा समिति महाराष्ट्र द्वारा बनाए गए ग्रुप “अखिल भारतीय क्षत्रीय कुल” ग्रुप के माध्यम से प्रांतीय युवा समिति महाराष्ट्र की पहली सभा संपन्न हुई ।

इस सभा की शुरवात प्रांतीय युवा अध्यक्ष श्री महक ओमप्रकाश जी सेठिया ने सब का स्वागत करते हुए की , आज की मीटिंग पहली मीटिंग होने के कारण एक दूसरे के बारेमे जाना गया , शिक्षण समाधान विषय पर चर्चा हुई ओर समय पर आया हुआ विषय युवा रोजगार पर बातचीत शुरू हुई।

वरिष्ठ समाज सेवक श्री बी पी सारंगे जी ने प्रांतीय युवा समिति को प्रोत्साहन देते हुए ढेर सारी बधाई के साथ स्वागत किया ओर गोंदिया के सफल प्रोग्राम की तारीफ करते हुए गोंदिया स्थानिक समिति ओर प्रांतीय महाराष्ट्र समिति १ को बोहोत बधाइयां दी ओर अपना मनोगत बताकर २ शब्द को विराम दिए ।

 शिक्षण विषय पर हुई बातचीत :

१) नरेंद्र जी चुरहे ब्रम्हपुरी से , आपने समाज में पढ़ रहे बच्चो को आश्वासन दिया की आप आपकी लेवल पर जो काउंसलिंग बन पड़े वो ८ वी, ९ वी ओर १० वी के बच्चो को देंगे ओर जो हमारा “क्षत्रिय शिक्षण” ग्रुप है उसमे ८ वी, ९ वी ओर १० वी के बच्चो को मार्गदर्शन करेंगे।

२) दीपक जी ठाकुर इंदौर से , आपकी खुद की संस्था है जिसमे आपके यह ६० से ज्यादा शिक्षणिक एम्प्लॉई काम करते है, आप भी “क्षत्रिय शिक्षण” ग्रुप है उसमे १२ वी तक के बच्चो को मार्गदर्शन करेंगे। ( मो. +91 99770 37091)

३) निलेश जी रक्षिये मेवाड से , आपने सभी पढ़ने वाले बच्चों के लिए फ्री ऑनलाइन ट्रेनिंग कम से कम हर हफ्ते ओर स्टडी मैटेरियल हर क्लास के लिए मिले ये सुझाव दिए।

४) मनोज जी चुरहे , आपने लड़कियों के ओर लड़को के समांतर होने के बारेमें बताए ओर सबको जितना पढ़ा सके उतना पढ़ना चाहिए ऐसा प्रोत्साहन दिए।

५) विजय जी बिलोरिया वणी से , आप प्रोफेशनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर है ओर खुद की इलेक्ट्रिकल पोल की फैक्टरी है , आप युवाओं को इंजीनियरिंग कैरियर में काउंसलिंग करते है ओर समाज के बच्चो को भी काउंसलिंग देंगे ये आश्वासन दिए है।

६) महक जी सेठिया ब्रम्हापुरी ( पुणे ) से , आप IT प्रोफेशनल है , आपका पुणे में IT में बिजनेस एव आप IT कंपनी में जॉब भी करते है , आपने IT में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई में ओर कैरियर में जो बन पड़े वो मदत करने का आश्वासन दिए है।

 युवा रोजगार विषय पर हुई बातचीत :

१) दीपक जी ठाकुर इंदौर से , आपने रोजगार के लिए सुझाव दिया की समाज के लोग मिलकर एक संस्था बनाई जाए ओर खुद की स्कूल खोली जाए जहा हर व्यक्ति अपने समाज का एम्प्लॉई होंगा।

२) संतोष जी जुम्हारे, आपने नेटवर्क मार्केटिंग के जरिए डायरेक्ट प्रोडक्ट सेलिंग कर के अपने नीचे लोगो को जोड़कर १० से १५ हजार हर सप्ताह का कमाने का प्लान बताया।

३) महक जी सेठिया ब्रम्हपुरी से, आपने अपने क्षत्रिय ™ ब्रांड के बारेमे बताया जहा हमारे समाज के छोटे से छोटे धंधे वालो से लेके बड़े धंधे वालो तक ओर जॉब वालो तक का शेयर रहेगा ओर हम सब मिलकर टेक्सटाइल में पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनाएंगे ये आश्वाशन दिया । जहा समाज का हर व्यक्ति कुछ न कुछ कमाएगा।

मीटिंग में प्रांतीय युवा समिति के मेंबर्स भी थे उन्होंने अपना परिचय सब को दिए ओर मीटिंग में ३० से अधिक सम्माननीय समाज के सदस्य गण थे , सब ने आपने ओर अपने काम के बारेमे बताए।

मीटिंग का समापन श्री विजय जी राजाभाऊ बोलोरियां इन्होंने किया ओर सब को ये बताए की उप्पर दिए गए विषयो पर समाधान निकालना उतना मुश्किल नहीं जितना लग रहा है , हमे बस सब समाज बंधाओ का फैमिली के हिसाब से डाटा चाहिए ताकि हम सब तक पोहोच सके हमारे द्वारा कुछ समाधान हो वो सब तक पोहोच सके। इन २ शब्दो के साथ आज की मीटिंग को समाप्त किया गया।

सभी जुड़े मान्यवरो का बोहोत बोहोत धन्यवाद , हम प्रांतीय युवा समिति जबतक हम है तभतक हर रविवार ८ से ९ बजेतक एक विशेष विषय पर चर्चा करेंगे ओर समाधान निकलने का प्रयास करेंगे । हमारे ग्रुप “क्षत्रिय कुल” से जुड़े रहने के लिए http://kshatriyakul.in आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर के जुड सकते है।

सभी का एक बार ओर शुक्रिया। 

महक सेठिया
प्रांतीय युवा अध्यक्ष , महाराष्ट्र

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नागपुर क्षत्रिय छिपा समाज – पुरुष समिति https://raktdata.org/%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%9c/ https://raktdata.org/%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%9c/#comments Sun, 13 Nov 2022 05:18:00 +0000 https://raktdata.org/?p=219 सभी सामाजिक बन्धुओं को यथा-योग्य सप्रेम नमस्कार 🙏 दिनांक 13-11-2022 को प्रस्तावित नागपूर सामाजिक सभा श्री. शैलेशजी रविजी राजूरिया, सोमवारी क्वॉर्टर, नागपुर इनके निवास स्थान पर आयोजित हुई… सभा में नागपूर स्थानिक समिती का गठण नागपुर निवासी उपस्थित मान्यवरो की सर्वसंमती से किया गया… अध्यक्ष : श्री शैलेश रविजी राजुरियाउपाध्यक्ष : श्री दिलीप सुरेश जी […]

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सभी सामाजिक बन्धुओं को यथा-योग्य सप्रेम नमस्कार 🙏

दिनांक 13-11-2022 को प्रस्तावित नागपूर सामाजिक सभा श्री. शैलेशजी रविजी राजूरिया, सोमवारी क्वॉर्टर, नागपुर इनके निवास स्थान पर आयोजित हुई… सभा में नागपूर स्थानिक समिती का गठण नागपुर निवासी उपस्थित मान्यवरो की सर्वसंमती से किया गया…

अध्यक्ष : श्री शैलेश रविजी राजुरिया
उपाध्यक्ष : श्री दिलीप सुरेश जी बिलगये
सचिव : श्री विरेन्द्र अशोक जी रक्षीये
उप सचिव : श्री अनुप बंसी लालजी बिल्लोरिया
सह सचिव : श्री सचिन रामभाऊजी चुरहे
सहसचिव : श्री हरिकिशन मधुकर जी मुजारिया
कोषाध्यक्ष : श्री संजय सुधाकर जी चूरे
उप कोषाध्यक्ष : श्री. भूपेंद्र सीताराम जी सिसोदिया
सह कोषाध्यक्ष : श्री घनश्याम रघुनाथ जी खेरडे
सह कोषाध्यक्ष : श्री राजेंद्र राधे श्याम जी सागरे
सलाहागार सदस्य :
श्री भोजराजजी सागरे
श्री ग्यानीचंद्र जी मुजारिया
श्री विशाल जी मुजारिया
श्री मनीष जी शेट्टे
श्री प्रशांत जी मुजरिया

इसके अलावा नागपुर सामाजिक संस्था सबसे पहली रजिस्टर संस्था है एवं इस संस्था को ट्रस्ट इसका भी दर्जा प्राप्त है इसलिए नागपुर सामाजिक संस्था मे आजीवन ट्रस्टी भी बनाए गए हैं जो निम्न लिखित सामाजिक बन्धुओं का चयन किया गया है जो आजीवन ट्रस्टी के रूप में कार्यरत रहेंगे!

आजीवन ट्रस्टी :
श्री पुरुषोत्तम जी रक्षीये
श्री सुधाकर जी बिलगए
श्री गजानन जी बडघरे
श्री राजेश जी कैलाबाग
श्री घनश्याम जी बडघरे
श्री नरेश जी ठाकुर

सदस्य:
नागपुर निवासी सभी सामाजिक बंधु

धन्यवाद

क्षत्रिय छिपा समाज, नागपुर

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